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Sunday, December 5, 2010

Sunday, November 7, 2010

Thursday, October 28, 2010

सार्थक चर्चा ................

परमाणु उर्जा, एक ज़रूरी विकल्प !


मेरी पिछली पोस्ट "फिर से हरियाली की ओर........support Nuclear Power" में कई लोगों ने अत्यंत ज़रूरी और सार्थक सवाल उठाये जिनका उत्तर देने में मुझे अत्यंत आनंद का अनुभव हुआ । मैं बहुत खुश हूँ कि संवेदना के स्वर, zeal, अभिषेक, PN Subramanian, Smart Indian - स्मार्ट इंडियन इत्यादि ने इस चर्चा में रूचि दिखाई और कई महत्वपूर्ण बातों को सामने लाने में सहायता की ।
इसलिए मैंने इस विषय में एक और पोस्ट प्रकाशित करना उचित समझा । यह पोस्ट उन सवालों का जवाब देने की एक कोशिश है जो पिछले पोस्ट में सामने रखा गया है । मैं चाहूंगी कि ज्यादा से ज्यादा लोग इस चर्चा में सम्मिलित हो । इससे न केवल चर्चा सार्थक होगी, बल्कि कई लोगों को इस बारे में पता चलेगा और जागरूकता में वृद्धि होगी ।

यह कहना तो गलत होगा कि ताप विद्युत या जल विद्युत को बंद कर दिया जाय । २००७ के आंकड़ों के अनुसार भारत में टोटल उर्जा खपत में कोयले से उत्पन्न उर्जा ४० %, पेट्रोल उर्जा २४ %, प्राकृतिक गैस ६ %, हायडल १.८ % और परमाणु उर्जा ०.७ % है । यद्यपि भारत एक प्रमुख कोयला उत्पादक देश है, फिरभी ३० % उर्जा आयातित इंधन से मिलता है । क्या अब हम दूसरे देशों के गुलाम हो गए हैं ? केवल यूरेनियम आयात करने से गुलाम बन जायेंगे यह सोच बिलकुल गलत है ।
उर्जा की आवश्यकता एक हौवा नहीं है, एक ऐसा सच है जो हमारे सामने खड़ा है । इस सच का सामना करना ही होगा ।
भारत हमेशा से ही परमाणु उर्जा कार्यक्रम में पीछे रहा है । यही कारण है कि आज हमारे देश उर्जा पर्याप्तता में पीछे रह गया है । जैसे जैसे हमारा कोयला और तेल के भंडार खतम होते जायेंगे, हमें वैकल्पिक उर्जा संसाधन ढूँढने ही होंगे । यह उर्जा स्रोत, परमाणु उर्जा हो सकता है, सौर उर्जा हो सकता है, हाइडल पॉवर, पवन उर्जा, जैव इंधन इत्यादि हैं । सवाल यह है कि इसमें से कौन सा विकल्प सस्ता और पर्यावरण के दृष्टि से निरापद है ।
फ्रांस, जापान जैसे देश परमाणु उर्जा इसलिए नहीं अपनाये हैं कि यह ताप विद्युत से सस्ता है, बल्कि इसलिए कि यह एक साफ़ सुथरा उर्जा स्रोत है ।
परमाणु संयंत्रों से उत्पन्न अपशिष्ट खतरनाक हो सकते हैं, पर उनका सही ढंग से निबटारा करना संभव है । ऐसी तकनीक विकसित की जा चुकी है । पर ताप्प विद्युत केन्द्रों से उत्पन्न अपशिष्ट (waste) जैसे कि राख, धुआं, इत्यादि को आप कैसे संभालेंगे? यह हर कोई जानता है कि कोयले के खान या ताप विद्युत केन्द्रों के आस पास रहने वाले लोगों में lung कैंसर बहुतायत में पाए जाते हैं ।
मैं फिर दोहराती हूँ, बात केवल उर्जा की ज़रूरत की नहीं है, सवाल एक साफ़ सुथरा उर्जा स्रोत का है ...
मै भी यह मानती हूँ कि भारत का जो परमाणु उर्जा कार्यक्रम है वो सही मायने में काफी नहीं है । पर शायद यह ज्यादातर लोगों को पता न हो कि दरअसल हमारे देश में जो थोरियम का भंडार है, उसे इस्तमाल करने के लिए भी हमारे पास बहुत सारे यूरेनियम रिअक्टर होना ज़रूरी है । हमारे देश का जो त्रि-चरणीय परमाणु उर्जा कार्यक्रम है उसके तहत पहले हमें यूरेनियम रिअक्टर चाहिए, फिर हम दुसरे चरण में प्लूटोनियम रिअक्टर का इस्तमाल करेंगे और तीसरा तथा आखरी चरण में हम थोरियम रिअक्टर का इस्तमाल कर पाएंगे । पर इस तरह का FBR (fast breeder reactor) बनाने से पहले, हमें बहुत सारा यूरेनियम की ज़रूरत है । यदि हम आज चूक गए तो शायद हम कभी इस थोरियम स्रोत का इस्तमाल नहीं कर पाएंगे । मैं यहाँ इस परमाणु उर्जा कार्यक्रम को विस्तारित रूप से वर्णन नहीं कर सकती । उसके लिए आपको निम्नलिखित लिंक में जाकर खुद पढ़ना पड़ेगा ।

http://www.dae.gov.in/publ/3rdstage.pdf
http://www.dae.gov.in/power/npcil.htm


एक ज़रूरी बात और । कई लोग ऐसे हैं जो मेरी पोस्ट को पढते तो हैं पर यह सोचकर चुप चाप उलटे पांव लौट जाते हैं कि "भाई, हमें तो इस बारे में कुछ नहीं पता, क्या लिखें?" । ऐसे दोस्तों से यह कहना चाहूंगी कि ज़रूरी नहीं है कि ये बातें हर किसी को पता हो, पर आप जानने कि कोशिश तो कीजिये । आपके मन में कई सवाल उठाना स्वाभाविक है । मुझे अत्यंत हर्ष होगा इन सवालों के जवाब देने में

Wednesday, October 27, 2010

फिर से हरियाली की ओर........support Nuclear Power

कुछ दिनों पहले की खबर थी कि इरान कुछ ही दिनों में Global Nuclear Club का एक सदस्य बनने जा रहा है यह एक राष्ट्र के उन्नती के लिये अच्छी खबर है । अमेरिका के विरोध के बावजूद जिस तरह से डटकर काम किया गया है, इससे उनका राष्ट्र प्रेम दीखता है
पता नहीं मेरा देश कब जागेगा? हमारे देश का जनता अपने देश में परमाणु उर्जा संयंत्र लगाने का भरपूर विरोध करते रहे हैं । जहाँ कहीं भी यूरेनियम खनिज का खनन कार्य शुरू करने कि कोशिश की जाति है, जनता को उसके खिलाफ भड़काया जाता है और काम बंद कर दिया जाता है । भोली भाली जनता को गलत सुचना के आधार पर भटकना बहुत आसान है । परमाणु उर्जा से सम्बंधित विभागों में काम करने वालों के अलावा ऐसे कितने लोग हैं जिन्हें परमाणु/नाभिकीय उर्जा के बारे में जानकारी है ? बहुत ही कम लोग जानते हैं कि परमाणु ऊर्जा एक ऐसा स्रोत है जो की उत्सर्जन मुक्त है
मै जानती हू जब मैं ये कहूँगी, तो नाजाने कितने लोग कहेंगे कि नहीं, आज तक उसकी वजह से मानवता का कितना नुकसान हुआ है हिरोशिमा और नागासाकी को हम नहीं भूले है, ..... पर आये दिन जो बम फ़ट रहे है वो तो किसी और चिजो से बने है । Dynamite से आप घर उड़ा सकते हैं, तो क्या दुनिया के सारे खानों में उसका इस्तमाल बंद हो गया है

हाँ, इस बात का दूसरा समाधान यह है हम जैव-ईंधन (biofuel), सौरउर्जा और wind turbines का उपयोग कर सकते है पर इसके कुछ परिसीमाए है ये बहुत ही महंगे उर्जा स्रोत हैं

आज जब फ्रांस जाकर उनकी फास्ट ट्रेन का टिकिट बुक करते हैं, तो कितना अच्छा लगता है की हम तेज तथा प्रदुषण रहित रेल में बैठे है फ्रांस ऐसा देश है जहा ७२ % बिजली उत्पादन परमाणु ऊर्जा से होता है हम जो पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस उपयोगिता में लाते है वो एक दिन खत्म हो जायेंगे तब तो हमें कोई विकल्प सामने लाना होगा और भूल रहे हैं कि इसके चलते हम कितना प्रदुषण पृथ्वी पर फैला रहे है

ये सब बातें हमारे पर्यावरण तथा सभ्यता को बहुत क्षति पहुंचा रही है हमारे नेतागण ये बाते अच्छी जानते है पर इस तरफ ध्यान देने कि जगह वह अपनी रोटी सेंकने में व्यस्त रहते है ! (they are happy to support fuel lobbies).

जब हमारा संपूर्ण ब्रम्हाण्ड परमाणु उर्जा पर चलता है तो हम क्यूँ नहीं ?




Monday, October 25, 2010

फिर छिड़ी बहस.........


पिछले सप्ताहांत मेरे घर में हमारे एक मित्र खाने पे आये थे आते ही उन्होंने मेरे सामने एक मिठाई रखी जो दिखने में बड़ी सुन्दर लग रही थी उन्होंने मुझसे पूछा कि बताओ ये क्या है जवाब देने कि जगह मैंने टप से उसमे से एक उठाकर अपने मुंह में डाल लिया । बड़ी ही लज़ीज़ मिठाई थी
(आप उस मिठाई का चित्र यहाँ देख सकते है : Foodeterian)

वैसे तो हमारे ये मित्र, बहुत अच्छा खाना बना लेते हैं, पर मुझे उनकी इस मिठाई की दाद देनी पड़ी
। इस बात से हमारे बीच ये बहस छिड़ गई कि सबसे अच्छा खाना कौन बनाता है
उनका कहना था कि मर्द बेहतर खाना बनाता है .... मेरे बनाये हुए व्यंजनों को चट करते हुए उन्होंने मुझे दुनियाभर के बड़े बड़े होटलों के प्रसिद्द chef के नाम गिनाये

मेरा कहना ये था कि चाहे आदमी हो या औरत, खाना वही अच्छा बना सकता है जिसे खाना बनाने की अभ्यास हो
। भले ही बड़े बड़े कई होटलों के chef आदमी है, पर यदि आप दुनिया के नब्बे प्रतिशत घर में झांके, तो खाना बनाती हुई महिलाएं ही नज़र आयेंगी, चाहे वो भारत हो या अमेरिका
और एक बात और, आपने कितनी बार, हर किसीके मुंह से ये सुने होंगे कि "खाना तो सबसे अच्छा मेरी माँ ही बनाती है"

आपका क्या ख्याल है ?

चित्र साभार गूगल सर्च

Monday, October 18, 2010

तुम्हारे इंतजार में

तुम्हारे इंतजार में

ये इंतजार के दिन काँटों से चुभते हैं

और ये सावन के दिन भी ना भाते है

तुम्हारे इंतजार में

ना पूछो, तुम्हारे इंतजार में

खयालो में कई बार खो जाती हूँ

तुम्हारी तस्वीर से दिल बहलाती हूँ

तुम्हारे इंतजार में

हाँ, तुम्हारे इंतजार में

शामे मेरी सुलगती रहती है

दिल में दर्द की लहर उठती है

तुम्हारे इंतजार में

सिर्फ, तुम्हारे इंतजार में

राते चाँद से बातों में गुजारती हूँ

आंसूओं से रात कि स्याही धोती हूँ

तुम्हारे इंतजार में

साजन, तुम्हारे इंतजार में


Tuesday, September 21, 2010

ऐसी भी होती है टिप्पणियां

आज हमने मेल बॉक्स खोला तो चिन्मयी और मेरे ब्लॉग पर कुछ कमेंट्स थे ! जब टिप्पणियां आती है तो बहुत अच्छा लगता है झट से खोला, पर टिप्पणियां पढ़ी नहीं गयी, किसी अजनबी दोस्त ने दिए थे एक के बाद एक ३ टिप्पणिया, दोनों के लिए एक जैसी सारे के सारे किसी अस्वस्थ मानसिकता की गन्दी टिप्पणियां ....

बहुत बुरा लगा, कि क्या मानसिकता है ये कोई ऐसा कायर इंसान है जो अपनी बीमार मनोवृत्ति का परिचय दे रहा है ऐसे कमेंट्स तुरंत हटाना ज़रूरी होता है पर मैं भी रोज ब्लॉग चेक नहीं कर पाती हूँ इसलिए अब ये ज़रूरी हो गया है कि कहीं तो रोक लगाई जाय

इसलिए कमेन्ट मोडरेशन सक्षम कर रही हूँ

ऐसी मानसिकता वाले लोगों को रोकने का यही एक तरीका फ़िलहाल है मेरे पास आशा करती हूँ आप मेरे इस फैसले का साथ देंगे

शुक्रिया

Friday, September 17, 2010

मजदूर......

मैं हूँ अदना सा मजदूर,

शायद इसलिए हूँ मजबूर

गढता हूँ मैं ही कल-आज,

फिर भी ठुकराता समाज

मेरे भी है सपने कुछ,

है मेरे भी अपने कुछ

बस रोटी और दाल मिले,

काम मुझे हर साल मिले

पेट में खाना, दिल को चैन,

सपने देखते हैं नैन

महलों की ना चाहत मेरी,

छोटी सी है राहत मेरी

झोपड़े पर एक तिरपाल,

मिले दिहाड़ी, मालामाल

इसलिए खटता हूँ दिन रात,

सोलह घंटे, दिन है सात

अपना बेटा पढ़ लिख जाय,

डॉक्टर वकील कुछ बन जाय

बेटी की भी हो जाय शादी,

मेरी पत्नी बन जाय दादी

अपनी किस्मत, अपना हाथ

हुज़ूर,

बस आपकी,

दुआ हो साथ !

Wednesday, September 15, 2010

पीला पत्ता

आज एक पत्ता फिर से टूटा
आखो के सामने
छा गया
बीता हुआ जमाना

नीचे के पत्ते, धीरे धीरे,
पीले पड़ते जा रहे है
उपर नये कोपलें आ रही हैं

कुछ पत्ते झड़ने से दुःख होता है
आँखें गीली हो जाती है

कुछ पत्ते प्यारे हैं
ये सोचकर भी
दिल दहल जाता है
कि एक दिन
ये भी टूटकर गिर जायेंगे

पर शायद यही
प्रकृति का नियम है

Thursday, September 2, 2010

एक ब्लॉग में अच्छी पोस्ट का मतलब क्या होना चाहिए ?

सप्ताहांत है बहुत दिनों बाद फिर ब्लॉग जगत में आ पाई देखती हूँ तो बहुत उथल पुथल मची हुई है आरोप प्रत्यारोप, गहन चर्चा, भावावेग इत्यादि इत्यादि ...
बहुत सारे ब्लॉग तथा टिप्पणियां पढ़ने के बाद मन में यह सवाल आया कि आखिर ये ब्लॉग जगत है क्या
क्या यहाँ हम एक दूसरे पर आरोप लगाने के लिए आये है ? या अपनी बौद्धिक भूख तथा अपनी सर्जनात्मकता को रूप देने के लिए आये हैं ?
होना क्या चाहिए, और हो क्या रहा है ...
बार बार यही सोचती रही कि एक अच्छी पोस्ट किसे कहा जा सकता है , एक अच्छा ब्लॉग कैसा होना चाहिए ?
ऐसे बहुत ब्लॉगर यहाँ देख रही हूँ , जो अपना ब्लॉग प्रसिद्ध करने के लिए क्या क्या नहीं कर रहे है, कौन कौन से हथकंडे ना अपना रहे हैं ऐसी सस्ती प्रसिद्धि उन्हें किस मोड़ तक ले जा रही है, क्या इस बात का इल्म है उन्हें ?
अगर आप सच में प्रतिभावान व्यक्ति है (चाहे आप पुरुष हो या स्त्री) तो क्या आपको सोचना नहीं चाहिए कि एक सार्थक पोस्ट क्या हो, कैसी हो ?

मुझे लगता है कि एक सार्थक पोस्ट वो होनी चाहिए जिससे समाज को कोई सन्देश मिले
या फिर कोई ऐसी रचना हो जो आपकी रचनात्मकता पर प्रकाश डाले, अपने तथा दूसरों के बौद्धिक विकास को बढ़ावा दे और हमारी राष्ट्रभाषा के प्रचार का माध्यम बने

यह पोस्ट मैं किसी व्यक्तिविशेष पर ऊँगली उठाने के नहीं लिख रही हूँ
मैं देख पा रही हूँ कि कई लेखक है जिनकी कलम में बहुत ताकत है अगर वो अपनी लेखनी को सही दिशा दें और समाज को जागृत करने में उपयोग करें । यदि ऐसा हो तो यह कितना सुन्दर होगा । है ना ?

Friday, August 20, 2010

तुम्हारी याद......

तुम्हारे जाने से कितना सूना लगता है,

मन जाने क्यू बहुत उदास होता है,

तुम्हारी बाते याद आती है,

वो मुस्कराहट सताती है

Missing You So Much myspace comments

Saturday, August 14, 2010

क्या आपको याद है .....

आज चिन्मयी को अपनी आजादी की कहानिया सुना रही थी तब नेताजी का उल्लेख आया और ये गीत जहन में आया ।
यह गीत
भारतीय राष्ट्रीय सेना (Indian National Army-
आज़ाद हिन्द फ़ौज) के रेजिमेंट का quickmarch था।
यह गीत राम सिंह ठाकुर द्वारा रचित है, बाद में ये गीत देशभक्ति गीत बन गया, और वर्तमान में यहाँ गीत भारतीय सेना की रेजिमेंटल quickmarch है।
क्या आपको याद है ....

कदम कदम बढ़ाये जा
खुशी के गीत गाये जा
ये जिंदगी है क़ौम की
तू क़ौम पे लुटाये जा तू शेर-ए-हिन्द आगे बढ़
मरने से तू कभी न डर
उड़ा के दुश्मनों का सर
जोश-ए-वतन बढ़ाये जा कदम कदम बढ़ाये जा
खुशी के गीत गाये जा
ये जिंदगी है क़ौम की
तू क़ौम पे लुटाये जा हिम्मत तेरी बढ़ती रहे
खुदा तेरी सुनता रहे
जो सामने तेरे खड़े
तू खाक में मिलाये जा कदम कदम बढ़ाये जा
खुशी के गीत गाये जा
ये जिंदगी है क़ौम की
तू क़ौम पे लुटाये जा चलो दिल्ली पुकार के
ग़म-ए-निशाँ संभाल के
लाल क़िले पे गाड़ के
लहराये जा लहराये जा कदम कदम बढ़ाये जा
खुशी के गीत गाये जा
ये जिंदगी है क़ौम की
तू क़ौम पे लुटाये जा

Take all your steps forward
Sing songs of happiness as you go
This life belongs to motherland
Lay it down for her a hundredfold You are the Tiger of India
Do not ever fear death
Blow away the enemy's head
Raise the spirits of your comrades Take all your steps forward
Sing songs of happiness as you go
Your life belongs to the motherland
Lay it down for her a hundredfold Your courage is your strength
The Lord listens to you
As for he who stands in your way
Turn him into dust and stamp him into the ground Take all your steps forward
Sing songs of happiness as you go
This life belongs to motherland
Lay it down for her a hundredfold "For Delhi" you scream
Hold your banner high
Plant it on the Red Fort
And let it fly eternally Take all your steps forward
Sing songs of happiness as you go
This life belongs to motherland
Lay it down for her a hundredfold

जय हिंद


Friday, August 13, 2010

अंधेरा ... अंधेरा !

अंधेरा ... अंधेरा !

अंधेरे से डरना क्या,

पलके मूंदे बैठना क्या,

आँखे बंद रखो तो

छाया रहेगा अंधेरा,

मन की आँखे खोलो तो,

उजाला है जीवन सारा !
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