Pages

Sunday, November 7, 2010

यहाँ का है यही चलन ।

30 comments:

  1. very nice post
    खर पतवार की सफाई के बाद ही भारत महाशक्ति बन सकता है

    ReplyDelete
  2. @उपेन्द्रजी
    धन्यवाद !

    @अभिषेकजी
    सच है बहुत बड़े सफाई अभियान कि जरुरत है :)

    ReplyDelete
  3. बिलकुल सही लिखा... यहाँ का का यही है चलन....

    महज आर्थिक और दिखावटी उन्नति से कुछ नहीं होगा;जब तक हम वैचारिक और मानसिक दृष्टि से खुद को उन्नत नहीं बनायेंगे.

    सादर

    ReplyDelete
  4. बिलकुल सही लिखा धन्यवाद|

    ReplyDelete
  5. इसी स्वप्न में हम आँख खोले जी रहे हैं।

    ReplyDelete
  6. बहुत ही बेहतरीन रचना.

    ReplyDelete
  7. बहुत जल्दी सरताज बनने वाले हैं हम। ओबामा तो बोल ही दिए हैं।

    ReplyDelete
  8. बहुत खूब.... बेहतरीन रचना....

    ReplyDelete
  9. सटीक और सुंदर रचना

    ReplyDelete
  10. Aapki chinta bilkul sahi hay...
    mujhe bhi is prasan ka uttar chahiye..mujhe lagta hay ham sabhi ka yahi prashan hay..kab hoga is dunia ka sartaz hindustan.

    bahut sundar rachna

    ReplyDelete
  11. कविता के माध्यम से बड़ी वाजिब चिंता जताई है आपने.

    ReplyDelete
  12. आमीन ... आपकी मनोकामना जरूर पूरी हो .... भारत जरूर अपना नाम रोशन करेगा इस दुनिया में ...
    दीपों का त्यौहार बहुत बहुत मुबारक हो ..

    ReplyDelete
  13. सच्चाई को बयान करती भावपूर्ण रचना !
    -ज्ञानचंद मर्मज्ञ

    ReplyDelete
  14. कब होगा इस दुनिया का
    सरताज हिंदुस्तान...

    आपकी चिंता हम सबकी चिंता है।

    ReplyDelete
  15. भगवान दोबारा यहाँ न उतारें...

    ReplyDelete
  16. छठ मेरी यादों में इस तरह से बसा हुआ पर्व है कि मेरे दोस्त कहते हैं कि तू बंगाली नहीं, पिछले जनम का बिहारी रहा होगा...! चाहे जो भी हो, इस त्यौहार का सबसे सशक्त पक्ष तो मुझे यह लगता है कि इसे मनाने वालों के मन में कंठ तक पानी में डूबकर सूर्य की उपासना करते समय किसी प्रकार की मलिनता जन्मा नहीं ले सकती है. छठ की असीम शुभकामनाएं...भगवान भास्कर का स्नेह सबका जीवन समृद्ध बनाए...!

    ReplyDelete
  17. माना गलत है आज इस दुनिया का चलन
    मगर चाहे हम तो बदल सकते है ये चलन
    निराश होने से नही बदलते दुनिया के चलन
    हमसे आपसे ही बढते है इस तरह के चलन

    ReplyDelete
  18. .

    Dear Coral,

    Beautifully stated the bitter truth. I hope soon there will be a day when people will realize this fact and our nation will prosper.

    .

    ReplyDelete
  19. इन्श'अल्लाह जल्द ही!
    आशीष
    ---
    पहला ख़ुमार और फिर उतरा बुखार!!!

    ReplyDelete
  20. सुन्दर आह्वान .. सटीक रचना

    ReplyDelete
  21. यहाँ आने में देर हो गयी....
    पता नहीं कैसे...
    बहुत ही खुबसूरत कविता...

    ReplyDelete
  22. कब जागेगा िन्सान और हिन्दुस्तान । जायज चिंता है ।

    ReplyDelete
  23. आदरणीया तृप्ति जी "कोरल"
    नमस्कार !
    गहन गंभीर सोच की रचना के लिए आभार और बधाई ! वैसे मैं पलाश जी से सहमत हूं … निराशा में भी आशा जीवित रहनी आवश्यक है !

    काफ़ी समय से आपने पोस्ट भी नहीं बदली , और मेरे ब्लॉग सहित अन्यत्र भी नहीं दिख रही हैं … आशा है, सपरिवार स्वस्थ-सानन्द हैं ।

    - राजेन्द्र स्वर्णकार

    ReplyDelete
  24. Namskar,
    Hindustan ko sartaj banane ka sapna shayad sapna hi rahe.jis`desh me Moral Values ka paimana generation dar generation parivarit hota ja raha ho, wahan ki peedhiyan ki taqdeer mein gulam mansikta ki jhalak hi parilakshit hoti rahti hai.main shayad jyada cheekh raha hun, par sach ye hai ki ham sab napunsak hain aur sirf bolte hain...mauka milne par ham sabhi khud ko Suvarn kannchan sikkon se taulte hain...

    Jab tak ham khud ko anushashit nahi kar lete, shayad Hindustan puchhalla desh hi rahe.
    yahi shayad hamari naiyati hai.
    Aapki kavita ki baat karun to kam shabdon me bahut bari baat kahi hai aapne. aap aashavadi hain, rahein aur rachna dharmita nibhati rahein.

    ReplyDelete
  25. bahut Khub...ham bhi intezar kar rahe,hindutan ke sartaj hone ka.

    ReplyDelete

टिप्पणी के लिए आपका बहुत धन्यवाद. आपके विचारों का स्वागत है ...

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...