तुम्हारे इंतजार में
ये इंतजार के दिन काँटों से चुभते हैं
और ये सावन के दिन भी ना भाते है
तुम्हारे इंतजार में
ना पूछो, तुम्हारे इंतजार में
खयालो में कई बार खो जाती हूँ
तुम्हारी तस्वीर से दिल बहलाती हूँ
तुम्हारे इंतजार में
हाँ, तुम्हारे इंतजार में
शामे मेरी सुलगती रहती है
दिल में दर्द की लहर उठती है
तुम्हारे इंतजार में
सिर्फ, तुम्हारे इंतजार में
राते चाँद से बातों में गुजारती हूँ
आंसूओं से रात कि स्याही धोती हूँ
तुम्हारे इंतजार में
साजन, तुम्हारे इंतजार में
इंतजार भी बड़ी जालिम चीज है,खत्म होने का नाम ही नहीं लेती। एक खत्म होता है तो दूसरा इंतजार शुरू हो जाता है।
ReplyDeleteखयालो में कई बार खो जाती हूँ
ReplyDeleteतुम्हारी तस्वीर से दिल बहलाती हूँ
विरहा के मनोभावों का बहुत ही अच्छा चित्रण किया है आपने.यकीन मानिए जब वो मिलेंगे तब ये सारी पीड़ा याद ही नहीं आयेगी.
मनोभावों का प्रभावी चित्रण ..
ReplyDeleteसुन्दर
इंतज़ार की शिद्दत को
ReplyDeleteबहुत असरदार सतरों में ढाल दिया है आपने
तन्हाई के आलम में साथ निभाने वाली रचना .
pyar me intzar ka maza kuch aur hi hota.
ReplyDeletebahut hi sundar rachna hai. aabhar.
@ राजेश जी
ReplyDeleteआपका कहना सही है, जिंदगी जैसे एक अंतहीन सिलसिला है ...
कोमल भावनाओं को सुंदर शब्दों में बांधा है आपने...बधाई।
ReplyDelete@ यशवंत
ReplyDeleteआपको वो "निकाह" का गाना याद है ...
शायद उनका आखरी हो ये सितम
हर सितम ये सोचकर हम सह गए
@ वर्मा जी, एहसास, मुफलिस, और महेंद्र जी
ReplyDeleteआप सबको शुक्रिया सराहने के लिए ...
सुंदर प्रस्तूतिकरण
ReplyDeleteराते चाँद से बातों में गुजारती हूँ
आंसूओं से रात कि स्याही धोती हूँ
शानदार शब्द संयोजन
कोरल जी ,
ReplyDeleteअब तो इन्तजार खत्म हुआ .....
आपका और इन्द्रनील जी का कमेन्ट साथ साथ आया है .....
दुआ है आपकी मोहब्बत यूँ ही जिन्दा रहे .....!!
इंतजार है की ख़तम ही नही होता
ReplyDeleteबहुत खूब
बहुत अच्छी रचना
कभी यहाँ भी आये
www.deepti09sharma.blogspot.com
खयालो में कई बार खो जाती हूँ
ReplyDeleteतुम्हारी तस्वीर से दिल बहलाती हूँ
मन को छूने वाली पंक्तियाँ .....
अच्छी लगी आपकी रचना
दिल में उठने वाले जजबातों को आपने सुंदर शब्दों मे ढाला है!...उत्तम रचना!
ReplyDelete@ हरकीरत जी
ReplyDeleteआपका कहना सही है, इंतज़ार खतम हुआ पर ये कविता मैंने इंतज़ार की घड़ियों में ही लिखी थी ...
@ सुज्ञ, दीप्ती शर्मा एंड संजय भास्कर
ReplyDeleteआप सबको अनेक धन्यवाद !
सुंदर भाव ,सराहनीय रचना ।
ReplyDelete... बहुत सुन्दर !!!
ReplyDeleteवाकई में प्रेम-पगी सुन्दर अभिव्यक्ति है!
ReplyDelete@ अजय जी, उदय जी और शास्त्री जी,
ReplyDeleteसराहने के लिए शुक्रिया !
इंतजार का फल हमेशा मीठा होता है . आंसू द्वारा रात कि स्याह रोशनाई को धोने वाला बिम्ब अच्छा लगा .
ReplyDeleteअति सुन्दर प्रस्तुति . धन्यवाद
ReplyDeleteखूबसूरत शब्दों की उम्दा बानगी..... अच्छी लगी आपकी रचना ....
ReplyDeleteउफ, यह इन्तज़ार कितना कड़वा होता है।
ReplyDeleteहाँ, तुम्हारे इंतजार में
ReplyDeleteशामे मेरी सुलगती रहती है
दिल में दर्द की लहर उठती है
तुम्हारे इंतजार में
सिर्फ, तुम्हारे इंतजार में
राते चाँद से बातों में गुजारती हूँ
आंसूओं से रात कि स्याही धोती हूँ
Injar hota hee hai aisa dard bhara lamba ki lagne lagta hai inteha ho gaee intjar kee.
Bahut bhawbhari komal kawita.
इन्तज़ार, बहुत सुन्दर!
ReplyDeleteअच्छी लगी यह रचना।
ReplyDeleteइंतज़ार के विभिन्न पहलुओं को अभिव्यक्त करती यह अभिव्यक्ति एक शे’र याद दिल गई’
ReplyDeleteतुम इतनी देर लगाया न करो आने में
कि भूल जाये कोई इन्तिज़ार करना भी
@ashish , राज भाटिय़ा, डॉ. मोनिका शर्मा , स्मार्ट इंडियन, हास्यफुहार
ReplyDeleteआप सभी का शुक्रिया !
सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDeleteआपकी कविता " तुम्हारे इंतज़ार में " पढ़ी.अच्छी लगी.
ReplyDeleteकिसी का कहा हुआ इंतज़ार पर एक बहुत ही अच्छा शेर याद आ रहा है.शायद आप को भी अच्छा लगे.
शेर है :-
वादा किया था फिर भी न आये मज़ार पर,
हमने तो जान दे दी इसी एतबार पर.
कुँवर कुसुमेश
इंतज़ार का मज़ा तो इंतज़ार करने वाले ही समझते हैं। --सुन्दर प्रस्तुति ।
ReplyDeletevirah ki vedna ko bakhoobhi ukera haai aapne..gud one :)
ReplyDeleteराते चाँद से बातों में गुजारती हूँ
ReplyDeleteआंसूओं से रात कि स्याही धोती हूँ
-दर्द महसूस किया इन्तजार का....बहुत कोमल रचना.
बहुत खूब!!!!!!!!!!!!!!!!इंतज़ार. अच्छी रचना.
ReplyDeleteइंतज़ार में सुंदर रचना रच डाली. प्रेम पगी विरह रचना.बधाई.
ReplyDeleteवैसे भी कहा गया है इंतजार के फल मीठे होते हैं !
ReplyDeleteसुन्दर अभिव्यक्ति !
-ज्ञानचंद मर्मज्ञ
www.marmagya.blogspot.com
राते चाँद से बातों में गुजारती हूँ
ReplyDeleteआंसूओं से रात कि स्याही धोती हूँ
तुम्हारे इंतजार में
साजन, तुम्हारे इंतजार में
wah kya intezaar hai ?
sundar likhaa hai
us ghadi ka shukriya jab aapne mere Blog per aakar comment kiya. mere liye ye bahut achchha rahaa isliye nahi ki aapne meri taaref ki magar isliye ki us comment ne aapke blog ka raasta dikhaa diya.
सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ शानदार रचना लिखा है आपने! उम्दा प्रस्तुती!
ReplyDeleteराते चाँद से बातों में गुजारती हूँ
ReplyDeleteआंसूओं से रात कि स्याही धोती हूँ .... bahut bahvuk kavita..
'तुम्हारे' इंतज़ार की वज़ह क्या है?
ReplyDeleteहम तो अघा गए एक टिप्पणीकार के इंतज़ार में
एक फोलोअर की बाट जोहते सपने में
न रात की फिक्र, न दिन में चैना
बस अब एक ही आस कि
'कोरल' जितने फोलोअर अपने भी हों.
इंतजार में इंतजार में इंतजार. इंतज़ार खतम हुआ सुन्दर अभिव्यक्ति.
ReplyDeletekisi ka intezaar bhi kitna dard deta hai ... kabhi suhaana ho jaata hai ... bahut khoob ...
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