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Tuesday, September 21, 2010

ऐसी भी होती है टिप्पणियां

आज हमने मेल बॉक्स खोला तो चिन्मयी और मेरे ब्लॉग पर कुछ कमेंट्स थे ! जब टिप्पणियां आती है तो बहुत अच्छा लगता है झट से खोला, पर टिप्पणियां पढ़ी नहीं गयी, किसी अजनबी दोस्त ने दिए थे एक के बाद एक ३ टिप्पणिया, दोनों के लिए एक जैसी सारे के सारे किसी अस्वस्थ मानसिकता की गन्दी टिप्पणियां ....

बहुत बुरा लगा, कि क्या मानसिकता है ये कोई ऐसा कायर इंसान है जो अपनी बीमार मनोवृत्ति का परिचय दे रहा है ऐसे कमेंट्स तुरंत हटाना ज़रूरी होता है पर मैं भी रोज ब्लॉग चेक नहीं कर पाती हूँ इसलिए अब ये ज़रूरी हो गया है कि कहीं तो रोक लगाई जाय

इसलिए कमेन्ट मोडरेशन सक्षम कर रही हूँ

ऐसी मानसिकता वाले लोगों को रोकने का यही एक तरीका फ़िलहाल है मेरे पास आशा करती हूँ आप मेरे इस फैसले का साथ देंगे

शुक्रिया

Friday, September 17, 2010

मजदूर......

मैं हूँ अदना सा मजदूर,

शायद इसलिए हूँ मजबूर

गढता हूँ मैं ही कल-आज,

फिर भी ठुकराता समाज

मेरे भी है सपने कुछ,

है मेरे भी अपने कुछ

बस रोटी और दाल मिले,

काम मुझे हर साल मिले

पेट में खाना, दिल को चैन,

सपने देखते हैं नैन

महलों की ना चाहत मेरी,

छोटी सी है राहत मेरी

झोपड़े पर एक तिरपाल,

मिले दिहाड़ी, मालामाल

इसलिए खटता हूँ दिन रात,

सोलह घंटे, दिन है सात

अपना बेटा पढ़ लिख जाय,

डॉक्टर वकील कुछ बन जाय

बेटी की भी हो जाय शादी,

मेरी पत्नी बन जाय दादी

अपनी किस्मत, अपना हाथ

हुज़ूर,

बस आपकी,

दुआ हो साथ !

Wednesday, September 15, 2010

पीला पत्ता

आज एक पत्ता फिर से टूटा
आखो के सामने
छा गया
बीता हुआ जमाना

नीचे के पत्ते, धीरे धीरे,
पीले पड़ते जा रहे है
उपर नये कोपलें आ रही हैं

कुछ पत्ते झड़ने से दुःख होता है
आँखें गीली हो जाती है

कुछ पत्ते प्यारे हैं
ये सोचकर भी
दिल दहल जाता है
कि एक दिन
ये भी टूटकर गिर जायेंगे

पर शायद यही
प्रकृति का नियम है

Thursday, September 2, 2010

एक ब्लॉग में अच्छी पोस्ट का मतलब क्या होना चाहिए ?

सप्ताहांत है बहुत दिनों बाद फिर ब्लॉग जगत में आ पाई देखती हूँ तो बहुत उथल पुथल मची हुई है आरोप प्रत्यारोप, गहन चर्चा, भावावेग इत्यादि इत्यादि ...
बहुत सारे ब्लॉग तथा टिप्पणियां पढ़ने के बाद मन में यह सवाल आया कि आखिर ये ब्लॉग जगत है क्या
क्या यहाँ हम एक दूसरे पर आरोप लगाने के लिए आये है ? या अपनी बौद्धिक भूख तथा अपनी सर्जनात्मकता को रूप देने के लिए आये हैं ?
होना क्या चाहिए, और हो क्या रहा है ...
बार बार यही सोचती रही कि एक अच्छी पोस्ट किसे कहा जा सकता है , एक अच्छा ब्लॉग कैसा होना चाहिए ?
ऐसे बहुत ब्लॉगर यहाँ देख रही हूँ , जो अपना ब्लॉग प्रसिद्ध करने के लिए क्या क्या नहीं कर रहे है, कौन कौन से हथकंडे ना अपना रहे हैं ऐसी सस्ती प्रसिद्धि उन्हें किस मोड़ तक ले जा रही है, क्या इस बात का इल्म है उन्हें ?
अगर आप सच में प्रतिभावान व्यक्ति है (चाहे आप पुरुष हो या स्त्री) तो क्या आपको सोचना नहीं चाहिए कि एक सार्थक पोस्ट क्या हो, कैसी हो ?

मुझे लगता है कि एक सार्थक पोस्ट वो होनी चाहिए जिससे समाज को कोई सन्देश मिले
या फिर कोई ऐसी रचना हो जो आपकी रचनात्मकता पर प्रकाश डाले, अपने तथा दूसरों के बौद्धिक विकास को बढ़ावा दे और हमारी राष्ट्रभाषा के प्रचार का माध्यम बने

यह पोस्ट मैं किसी व्यक्तिविशेष पर ऊँगली उठाने के नहीं लिख रही हूँ
मैं देख पा रही हूँ कि कई लेखक है जिनकी कलम में बहुत ताकत है अगर वो अपनी लेखनी को सही दिशा दें और समाज को जागृत करने में उपयोग करें । यदि ऐसा हो तो यह कितना सुन्दर होगा । है ना ?

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