वाह ...तृप्ति जी बहुत खूब.... बहुत ही प्यारी कविता.... अच्छा है अपने अपनी व्यस्तता के बीच थोडा सा समय निकाला... यूँ ही कभी कभी कुछ लिखा करें...आप अच्छा लिखती हैं...
बहुत कम बाकी है-टाला पड़ा है। मगर उनकी आंखों पे, जाला पड़ा है। सुराही पड़ी है पियाला पड़ा है करें क्या-जुबानों पे, ताला पड़ा है बहुत सुर्खरूई थी वादों में जिनके जो मुंह उनका देखो तो काला पड़ा है। कहां उठ के जाने की तैयारियां हैं सब असबाब बाहर निकाला पड़ा है? यहां पूछने वाला कोई नहीं है जिसे भी जहां मार डाला, पड़ा है? भला कोई सीना है वो भी कि जिस पर न बरछी पड़ी है, न भाला पड़ा है !
जितनी लंबी राहें होती हैं इंतजार उससे भी लंबा हो जाता है। इस लिए इंतजार तो करना ही छोड़ दिया जी....हां राह लंबी ही है..बस कहीं कहीं यादों के सायों में सुस्ता लेते हैं हम तो वरना तो जी सफर चालू आहे...अच्छी रचना
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति!
ReplyDeleteदिल को छू लिया इस कविता ने!....प्रश्न बहुत गहरा है...और मन की इन भावनाओं को समझना भी बहुत मुश्किल है.
ReplyDeleteवाह ...तृप्ति जी बहुत खूब....
ReplyDeleteबहुत ही प्यारी कविता....
अच्छा है अपने अपनी व्यस्तता के बीच थोडा सा समय निकाला...
यूँ ही कभी कभी कुछ लिखा करें...आप अच्छा लिखती हैं...
पहचान कौन चित्र पहेली को अभी भी विजेता का इंतज़ार....
अनजान है वो
ReplyDeleteइन बातों से
की परवाने के लिए
शमा जलती क्यों है?
मैडम,इसका कारण एक शायर ने ये बताया है:-
शमा ने आग रखी सर पे क़सम खाने को ,
बाखुदा मैंने जलाया नहीं परवाने को.
आपकी पोस्ट लगभग १ महीने बाद आई. हो सकता है इन दिनों किसी अन्य काम में व्यस्त रही हों. पढ़कर अच्छा लगा.
दिल को सुकुन देती एक सुदंर रचना।
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ReplyDeleteवक़्त की धुंध में
ReplyDeleteकहीं खो गई चाहत
निगाहें मेरी फिर भी
उसे ढूंढती क्यूं है?
चाहत के साथ खोने और ढूंढने का रिश्ता पुराना है..
एक उत्तम कविता...बधाई।
बहुत सुन्दर. मुझे तो एक फ़िल्मी गाना याद आ गया. "इंतज़ार और अभी, और अबी, और अभी"
ReplyDeleteबहुत सारे प्रश्न, उत्तर एक ... ये भवानओं की बात है।
ReplyDeleteज़िंदगी में हर चीज़ का हिसाब नहीं होता!
ReplyDeleteहरेक 'क्यूँ' का जवाब नहीं होता!
आशीष
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नौकरी इज़ नौकरी!
मन को छूते सवाल.... बेहतरीन प्रस्तुति ......
ReplyDeleteitni achhi rachna aur tum ... main naam se sahi pahchaan rahi hun n?
ReplyDeletevatvriksh me is rachna ke saath shamil ho jaiye , intzaar hai....
बहुत ही उम्दा रचना , बधाई ।
ReplyDelete... bahut sundar ... behatreen ... badhaai !!!
ReplyDeletesundar kavita badhai
ReplyDeletevery much thanks for your nice comments
ReplyDeleteइंतजार .. शायद यही सच है
ReplyDeleteक्या बात है..बहुत सुन्दर!!
ReplyDeleteओके, एक कविता सिर्फ आपके लिए :
ReplyDeleteबहुत कम बाकी है-टाला पड़ा है।
मगर उनकी आंखों पे, जाला पड़ा है।
सुराही पड़ी है पियाला पड़ा है
करें क्या-जुबानों पे, ताला पड़ा है
बहुत सुर्खरूई थी वादों में जिनके
जो मुंह उनका देखो तो काला पड़ा है।
कहां उठ के जाने की तैयारियां हैं
सब असबाब बाहर निकाला पड़ा है?
यहां पूछने वाला कोई नहीं है
जिसे भी जहां मार डाला, पड़ा है?
भला कोई सीना है वो भी कि जिस पर
न बरछी पड़ी है, न भाला पड़ा है !
sundar rachna, jab shamma aur parwane bane the tabhi se ye chal raha hai.
ReplyDeleteजीवन की विडम्बनायें बड़े ही सुन्दर ढंग से चित्रित कीं।
ReplyDeleteसवाल ही सवाल हैं। जवाब भी उनमें ही हैं।
ReplyDeleteआदरणीय
ReplyDeleteडॉ . तृप्ति जी ...नमस्कार
आपकी कविता में जिन सवालों को उठाया गया है ...सब सवाल विचारणीय हैं ...बहुत खूब
जितनी लंबी राहें होती हैं इंतजार उससे भी लंबा हो जाता है। इस लिए इंतजार तो करना ही छोड़ दिया जी....हां राह लंबी ही है..बस कहीं कहीं यादों के सायों में सुस्ता लेते हैं हम तो वरना तो जी सफर चालू आहे...अच्छी रचना
ReplyDeleteबहुत ही उम्दा रचना , बधाई
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर कविता. शुभकामनाएं
ReplyDeleteमेरे व्लाग में आने के लिए धन्यवाद.
मेरा सवाल 156 (चित्र पहचानिए)
बहुत ही सुंदर रचना है. पथरीले रास्ते का चित्र बहुत ही सही बैठ रहा है रचना के साथ . जिन्दगी ऐसे ही पथरीले रास्तों की कड़ी है जहाँ शायद इंतजार ही है.
ReplyDeleteअच्छे भाव हैं| स्पैलिंग्स पर थोड़ा ध्यान दीजिये|
ReplyDeleteयहाँ तो सारे प्रश्न इश्क की ओर ले जाते लगते हैं।
ReplyDeleteसुंदर अभिव्यक्ति।
awww....very sweet ;)
ReplyDeleteजब एक बार वो अपने हो जाते हैं तो जाने अंजाने कहाँ रहते हैं ... इंतेज़ार तो होता ही है ...
ReplyDeleteआप को सपरिवार नववर्ष 2011 की हार्दिक शुभकामनाएं .
ReplyDeleteनूतन वर्ष २०११ की हार्दिक शुभकामनाएं .
ReplyDeleteबहुत अच्छा लिखती हैं आप. पथरीले रास्ते का चित्र बहुत ही सही है रचना के साथ . सुंदर लेखन, बधाई. मेरे व्लाग में आने के लिए धन्यवाद.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति| धन्यवाद|
ReplyDeleteबढ़िया लेखन.......आभार
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