Monday, October 25, 2010
फिर छिड़ी बहस.........
पिछले सप्ताहांत मेरे घर में हमारे एक मित्र खाने पे आये थे । आते ही उन्होंने मेरे सामने एक मिठाई रखी जो दिखने में बड़ी सुन्दर लग रही थी । उन्होंने मुझसे पूछा कि बताओ ये क्या है । जवाब देने कि जगह मैंने टप से उसमे से एक उठाकर अपने मुंह में डाल लिया । बड़ी ही लज़ीज़ मिठाई थी ।
(आप उस मिठाई का चित्र यहाँ देख सकते है : Foodeterian) ।
वैसे तो हमारे ये मित्र, बहुत अच्छा खाना बना लेते हैं, पर मुझे उनकी इस मिठाई की दाद देनी पड़ी । इस बात से हमारे बीच ये बहस छिड़ गई कि सबसे अच्छा खाना कौन बनाता है ।
उनका कहना था कि मर्द बेहतर खाना बनाता है .... मेरे बनाये हुए व्यंजनों को चट करते हुए उन्होंने मुझे दुनियाभर के बड़े बड़े होटलों के प्रसिद्द chef के नाम गिनाये ।
मेरा कहना ये था कि चाहे आदमी हो या औरत, खाना वही अच्छा बना सकता है जिसे खाना बनाने की अभ्यास हो । भले ही बड़े बड़े कई होटलों के chef आदमी है, पर यदि आप दुनिया के नब्बे प्रतिशत घर में झांके, तो खाना बनाती हुई महिलाएं ही नज़र आयेंगी, चाहे वो भारत हो या अमेरिका ।
और एक बात और, आपने कितनी बार, हर किसीके मुंह से ये सुने होंगे कि "खाना तो सबसे अच्छा मेरी माँ ही बनाती है" ।
आपका क्या ख्याल है ?
चित्र साभार गूगल सर्च
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खाना तो हम भी अच्छा बनाते हैं..मगर माँ के हाथ का खाना....उसमें मसाले के ममत्व मिला होता है..वो कोई भी चैफ कहाँ से लायेगा...
ReplyDeleteबहस का क्या है ..
ReplyDeleteकिसी भी बात पर हो सकते हैं ..
पर सत्य तो सत्य ही होता है ..
कम खर्च में जैसा खाना महिलाएं बना सकती हैं ..
पुरूष तो नहीं बना सकते !!
@'उदयजी
ReplyDeleteधन्यवाद !
@समीरजी
चलिए इसी बहाने आपके इस हुनर का भी पता चला :)
@संगीता जी,
ReplyDeleteआपसे बिलकुल सहमत हूँ :)
आपने एक बात बिलकुल सही कही कि. "चाहे आदमी हो या औरत, खाना वही अच्छा बना सकता है जिसे खाना बनाने की अभ्यास हो ।"
ReplyDeleteवैसे खाना तो मुझे भी मम्मी के ही हाथ का बना ज्यादा पसंद है.
हमने तो इस मिठाई का स्वाद चख लिया!
ReplyDeleteबिलकुल सही है. माँ के हाथ के खाने का जायका ही कुछ और होता है.
ReplyDeleteफुर्सत मिले तो 'आदत.. मुस्कुराने की' पर आकर नयी पोस्ट ज़रूर पढ़े .........धन्यवाद |
ReplyDeleteहर चीज अभ्यास से ही आती है। अच्छा खाना बनाना भी उसमें शामिल है। चूंकि महिलाओं के हिस्से में खाना बनाने का काम ज्यादा आता है इसलिए अभ्यास भी उन्हें ही ज्यादा होगा। इसलिए मेरे हिसाब से बहस की गुंजाइश नहीं है।
ReplyDeleteआजकल ऐसी बहसें काफी होती हैं..... ना जाने क्यों..... :)
ReplyDeleteवैसे संगीता और समीर जी दोनों की बात से सहमत हूँ मैं....
हमें तो घर का सादा खाना ही सुहाता है।
ReplyDeleteshi khaa bhs to bhs he bina kisi bat ke hi chid jati he andaz thik he. akhtar khan akela kota rajsthan
ReplyDeleteभाई सच बोलू तो घर मे महिलाये ही स्वाद खाना बना सकती हे, कोन सा मसाला नमक, मिर्च कितनी डालनी हे बिना नाप तोल के यह सिर्फ़ महिला ही जानती हे, ओर घर को समभलानां भी सिर्फ़ महिला ही अच्छी तरह समभाल सकती हे, इस सब बातो मे कोई शक नही, क्योकि मुझे तो चाय बनाना भी नही आता, हां चाट बहुत स्वादिस्ट बनाता हुं, जो खाये तो दो दिन तक चटकारे मारे
ReplyDeletemahila jindabad !
ReplyDeletemy mom is the best cook...bilkul aisa kehte suna hai aksar :) maa ka to koi saani hi nahi..par haan mera ye bhi manna hai ki mard ya to koi kaam karte nahi gar karte hai to acchi tarah se karte hai..mera aisa anubhav hai..baaki sabki apni apni raay hogi :)
ReplyDeleteमां के खाना का तो जवाब नहीं।
ReplyDeleteइसका मतलब कत्तई नहीं कि उनको मैं कम तर आंक रहां हूं।
(पर एक बात है, मां ने मुझे कभी खाना बनाना सीखने का अवसर नहीं दिया, ... इधर... सोचता हूं कि यह सीख लिया होता तो किसी एक चीज़ में तो उनकी बराबरी करने की कोशिश करता।)
समकालीन डोगरी साहित्य के प्रथम महत्वपूर्ण हस्ताक्षर : श्री नरेन्द्र खजुरिया
बहुत बढिया प्रस्तुति!
ReplyDelete--
बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
--
आपकी पोस्ट को बुधवार के
चर्चा मंच पर लगा दिया है!
http://charchamanch.blogspot.com/
मान्यताएं,सिद्धांत,संस्कृति ,तौर- तरीके,पहनावे इत्यादि सब कुछ तो उलट-पलट गया है पिछले पचास वर्षों में. अब कोई कुछ कह रहा है कोई कुछ. पहले १००% लोग ये कहते थे माँ के हाँथ का खाना अच्छा लगता है, अब कुछ लोग ये कहते मिल सकते हैं की बाप के हाँथ का खाना अच्छा लगता है,कोई ताज्जुब की बात नहीं. उनका तर्क भी हाज़िर रहेगा.
ReplyDeleteकुँवर कुसुमेश
@कुँवर कुसुमेशजी आपने भी खूब कही .हा हा हा ..कई बार मेरी बेटी ही कहती है बाबा के हाथ के चिकन का जवाब नहीं ...
ReplyDeleteबात कहना चाहूंगी अच्छा खाना बनाने के लिए अभ्यास के साथ साथ प्यार भी मिलाना पड़ता. जितने शांत मन और प्यार से बना खाना उतना स्वादिष्ट
ReplyDeleteहमारे यहाँ बीवी हमसे अच्छा पकाती है।
ReplyDeleteपर हम उनसे अच्छा खाते है!
शुभकामनाएं
जी विश्वनाथ