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Tuesday, October 9, 2012

सच्ची बात कही थी मैंने I




चित्र  साभार : इन्द्रनील - Flicker
                              Ignited Images on Facebook


सच क्या है? ये कितना आसान सवाल है पर जवाब देना उतना ही कठिन I हम कह सकते है की सच वो है, जो वास्तविकता  या हकीकत  को दर्शाता है I पर क्या ये सीधी सी बात सच है? क्या इस मे कमी नज़र नहीं आती ? वास्तविकता क्या है ? या हकीकत क्या है ? ये सब एक दृष्टी पर निर्भित नहीं होता है ?
एक छोटासा उदाहरण इस बात की पुष्टि करता है I ग्लास आधा भरा या आधा खाली? ये एक दृष्टी, वास्तविकता और सोच पर निर्भित होता है I तो इसमें सच क्या है ? क्या भरा ग्लास मुझे तब लग सकता है जब उसकी जरुरत हो ? खाली ग्लास इसलिए लगता है की उस वक्त मेरी जरुरत ना हो ?
इंसान सच को इसी नाप दंड मे तौलता है और फिर जो ताकतवर है , वो अपने अनुरूप इसे अपनी सच्चाई के रूप मे पलट देता है I फिर वास्तविकता भलेही अलग क्यू ना हो I
फिर सच क्या है ? 
सच यानी जो तथ्यों (factually) के आधार पर और यथोचित (logically) रूप से सही हो और जो भ्रमकारी ना हो I पर क्या इसे हमेशा समाज मे सच माना गया है ?

 इसी बात पर मेरी एक  पसंदीदा जगजीत सिंग द्वारा गायी हुयी गज़ल आप सबके लिए  
 

Thursday, January 27, 2011

मेरा प्रोफाइल फोटो -२

मैंने इस बात पे पहले भी यहाँ लिखा है कि मैंने क्यूँ इस अफगानी भद्र महिला की तस्वीर बतौर "प्रोफाइल फोटो" चुना था लेकिन जब से (४ सालो से) ये फोटो हमने हमारे "सोशल नेटवर्क" तथा ब्लॉग पर लगाया है, तबसे न जाने कितने लोगो ने हमसे इसे बदलने का अनुरोध किया ...
पर हम भी डटे रहे ....
कि जब तक इन्द्रनील मेरा एक स्केच नहीं बना देते हैं ... तब तक हम इसे नहीं बदलेंगे ...
और आज ८ साल बाद वो दिन आ ही गया सुब्रमनियम अंकल, आपका ढेरो शुक्रिया जो आपने मेरी पिछली पोस्ट पर ऐसी प्रतिक्रिया दी ... कि इन्द्रनील भी कमर कसके लग पड़े और एक ही दिन में मेरा एक 3D इफेक्ट वाला स्टेंसिल पोर्ट्रेट बना ही दिया
आशा करती हूँ कि अब मेरी तस्वीर देख कर कोई घबरायेगा नहीं

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