“सच क्या है?” ये कितना आसान सवाल है पर जवाब देना उतना ही कठिन I हम कह सकते है की सच वो है, जो वास्तविकता या हकीकत को दर्शाता है I पर क्या ये सीधी सी बात सच है? क्या इस मे कमी नज़र नहीं आती ? वास्तविकता क्या है ? या हकीकत क्या है ? ये सब एक दृष्टी पर निर्भित नहीं होता है ?
एक छोटासा उदाहरण इस बात की पुष्टि करता है I ग्लास आधा भरा या आधा खाली? ये एक दृष्टी, वास्तविकता और सोच पर निर्भित होता है I तो इसमें सच क्या है ? क्या भरा ग्लास मुझे तब लग सकता है जब उसकी जरुरत हो ? खाली ग्लास इसलिए लगता है की उस वक्त मेरी जरुरत ना हो ?
इंसान सच को इसी नाप दंड मे तौलता है और फिर जो ताकतवर है , वो अपने अनुरूप इसे अपनी सच्चाई के रूप मे पलट देता है I फिर वास्तविकता भलेही अलग क्यू ना हो I
फिर सच क्या है ?
सच – यानी जो तथ्यों (factually) के आधार पर और यथोचित (logically) रूप से सही हो और जो भ्रमकारी ना हो I पर क्या इसे हमेशा समाज मे सच माना गया है ?
इसी बात पर मेरी एक पसंदीदा जगजीत सिंग द्वारा गायी हुयी गज़ल आप सबके लिए
बिल्कुल सच्ची
ReplyDeleteआभार
कई बार जो हम देखते है या सो चते है वही सच लगता है,,विचारणीय लेख ..बहुत सही..
ReplyDeleteकिसी भी चीज के कई कोण हैं, सबको समग्रता से स्वीकार कर जो मिलता है वह उसका सत्य है।
ReplyDeleteविचारणीय बात....
ReplyDeleteजैसे जैसे हमारा अंत:करण निर्मल होता जाता है
ReplyDeleteसच का सच्चा रूप समझने आने लगता है.
सुन्दर गीत.
आभार.
सत्यम शिवम सुंदरम ...
ReplyDeleteविश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर देश के नेताओं के लिए दुआ कीजिये - ब्लॉग बुलेटिन आज विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर पूरी ब्लॉग बुलेटिन टीम और पूरे ब्लॉग जगत की ओर से हम देश के नेताओं के लिए दुआ करते है ... आपकी यह पोस्ट भी इस प्रयास मे हमारा साथ दे रही है ... आपको सादर आभार !
सच का सच्चा विश्लेषण ।
ReplyDeleteसही और सच्ची बात कही आपने आशा और निराशा मन के विकल्प हैं....आभार
ReplyDeleteसही है ...नजरिये का भी फर्क होता है
ReplyDeleteसुंदर पोस्ट !
नई प्रविष्टि का इंतज़ार है…
बनी रहे त्यौंहारों की ख़ुशियां हमेशा हमेशा…
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♥~*~दीपावली की मंगलकामनाएं !~*~♥
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सरस्वती आशीष दें , गणपति दें वरदान
लक्ष्मी बरसाएं कृपा, मिले स्नेह सम्मान
**♥**♥**♥**●राजेन्द्र स्वर्णकार●**♥**♥**♥**
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