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Sunday, November 6, 2022

एक स्त्रीजब उदास होती है

यह कविता मेरी नही है पर मन को बहुत भा गयी 

एक स्त्री
जब उदास होती है..;
धीमी हो जाती है..
धरती के
घूमने की गति..!

एक स्त्री
जब मुस्कराती है..;
आसमान
थोड़ा झुक जाता है..!

एक स्त्री
जब हँसती है..
अनुचित हँसी;
महाभारत होता है..!

एक स्त्री की
निश्छलता पर..
सकुचाने लगती है;
भागीरथी..!

एक स्त्री
जब जिद करती है..
अपने अधिकार के लिए;
यमराज हार जाता है..!

एक स्त्री को
जब देनी पड़ती है
अपने व्रत की परीक्षा..,
एक गहरा प्रश्नचिन्ह लगता है..;
पुरुष के पुरुष होने पर..!

एक स्त्री
जब रोती है..;
धरती फट जाती है..!

निभाते हुए..
सभी रिश्तों को
बचाने की जुगत में..
एक स्त्री बँट जाती है..;
परमाणुओं में..!

एक स्त्री
जब प्रेम करती है..;
बस प्रेम करती है..

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