महाशिवरात्रि के पर्व पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं !
चित्र साभार - इन्द्रनील
एक तांडव, जिसके बाद विनाश अटल | विनाश
के बाद फिर एक नयी शुरुआत | यही प्रकृती का नियम है | शिव प्रकृति है जो हमारे जीवन
की नकारात्मकता को हटाने का प्रतीक है |
शिव (श+इ+व् ) एक शक्ति है, जो सिखाता
है की बिना ‘इ’ – ( जो नारी का
रूप दर्शाता है ) ये विश्व – “ शव “ – है |
आज शिवरात्रि महज त्यौहार का रूप रह
गया है | हम इसके पीछे की भावना भूल कर दूध पिलाने और पूजा करने तक सीमीत रह गए हैं |
हमारी संस्कृति में त्यौहार रोजमर्या की जिंदगी से जुड़े हैं | उसमे बहुत गहन अर्थ छुपे है जिसे जाने बिना हम
त्यौहार को बस मनाते जाते है |
शिवजी के पूजा में हम बिल्व फल चढाते हैं |
पूजा के चढावे के साथ
साथ अगर हम उसे ग्रहण करते है तो पाचन संबधी जो तकरारे इस मौसम मे रहती है वो काफी
हद तक कम हो सकती है |
कल दूध चढ़ाया जायेगा और ना जाने कितना
दूध मिटटी मे मिल जायेगा | अगर यही दूध किसी भूख से बिलखते बच्चे के पेट में जाए तो क्या उसकी तृष्णा-तृप्ती में शिव रूप का
आभास नहीं होगा ?
सुन्दर संदेश, महाशिवरात्रि की शुभकामनायें..
ReplyDeleteबहुत सुंदर भाव ....हार्दिक शुभकामनायें
ReplyDeleteमैं प्रकृति के तांडव को प्रकृति के झूमने की तरह देखता हूं :)
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ReplyDeleteदिनांक 11/03/2013 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपकी प्रतिक्रिया का स्वागत है .
धन्यवाद!
सार्थक एवं अनुकरणीय विचार दिये हैं।
ReplyDelete"ॐ नमः शिवाय च