चित्र चिन्मयी के ब्लॉग से
गाँधी जयंती थी के मध्य कुछ दोस्तों से प्यारी बाते हो गयी I हर किसी को अपनी बात
कहने का अधिकार होता है, पर किसी बात को अच्छी तरह से जाने बिना एक बहाव (फैशन) के
चलते बातें बनाना गलत है I
हमारा
देश “गाँधी का देश” के रूप में बाहर के मुल्को में जाना जाता है I गाँधी विचारधारा
का आदर किया जाता है I अपने वतन से दूर जब आप गांधीजी के विचारों का सम्मान देखते
है, तो सर फक्र से ऊँचा उठता है, कि मेरी मिट्टी का कितना बड़ा सम्मान है ये I अहिंसा,
सत्याग्रह ये सारी मेरे देश के वेदों (भगवतगीता) की उपज है जिन्हें गांधीजीने
दुनियाके सामने रखा I
जब
अन्नाजी गांधीजीके विचारों के साथ अनशन (सत्याग्रह) पर बैठे तो हजारों की तादाद
में लोग साथ देने निकल पड़े I यह बातें विचारणीय है I इतिहास में बहुत सारी ऐसी
बातें हो गयी है, जिसके लिए आज तक दोषारोपण करते रहने का कोई मतलब नहीं होता है I
आज हम
स्वदेशी वस्तुओं को लेके बहुत चिंतित होते है कि कहीं विदेशी व्यापार हमारी आर्थिक
नीव ना तोड़ दे I थोड़ी सी याद करले कि स्वदेशी की नीव गांधीजी ने ही डाली थी I उसे
हम फिर से जीवित कर सकते हैं I
गाँधीजी
को लेकर बहस के कई मुद्दे है पर आज बीती बातों पर समय व्यर्थ व्यय करने की बजाय
अगर हम उनकी विचार धारा को अपनाकर समाज उत्थान का कार्य करें तो आज की सामाजिक एव
आर्थिक स्थिति में कुछ बदलाव जरुर आ सकता है I
इसलिए
आज गाँधीजी नहीं गाँधीजी के विचारधारा महत्वपूर्ण है I
इस विषय पर मेरा अध्ययन बहुत ज्यादा
नहीं है I जो बातें मेरी तार्किक सोच पर खरी उतर रही है, वही विचार मैं आपके साथ बाँट
रही हूँ I मेरी सोच को बेहतर बनाने के लिए आपकी टिप्पणियों का स्वागत है I
इसलिए आज गाँधीजी नहीं गाँधीजी के विचारधारा महत्वपूर्ण है।
ReplyDeleteबिल्कुल सही कहा आपने ... सशक्त लेखन के लिए आभार
आप का कहना बिल्कुल सही है तृप्ति जी..हम उनकी विचार धारा को अपनाकर समाज उत्थान का कार्य करें तो आज की सामाजिक एव आर्थिक स्थिति में कुछ बदलाव जरुर आ सकता है । ....बहुत सटीक
ReplyDeleteगांधी के दर्शन को समझने के लिए उसे जीना आवश्यक है। न जाने हमारे समाज और देश में कैसा बदलाव आया है कि आज कोई गांधी का नाम लेते ही चिढता है। जिस व्यक्ति को राष्ट्रपिता के नाम से संबोधित किया जाता हो, जिसकी तस्वीर उसकी मृत्यु के पचास साल बाद दुनिया की सबसे मशहूर पत्रिका के कवर पेज पर छपी हो, उस व्यक्ति का नाम लेने तक को फालतू समझना घोर आश्चर्य का विषय है।
ReplyDeleteबधाई हो!
ReplyDeleteबीत गया है दो अक्टूबर!
अब एक साल बाद ही याद आयेंगी ये महान विभूतियाँ!
आपके विचारों से सहमत हूँ।
ReplyDeleteसादर
आपका कहना बिलकुल सही है कि,"गांधी-विचार धारा"महत्वपूर्ण है।
ReplyDeletehttp://krantiswar.blogspot.in/2012/10/blog-post.html
देश के सशक्त पक्ष से विश्व के परिचय कराने का श्रेय गांधीजी के ही जाता है।
ReplyDeleteSahmat hun aapse....
ReplyDeleteआपने बहुत सरलता से अपनी बात कही है.
ReplyDeleteबहुत ही अच्छी लगी.
समय मिलने पर मेरे ब्लॉग पर आईएगा.