परमाणु उर्जा, एक ज़रूरी विकल्प !
मेरी पिछली पोस्ट "फिर से हरियाली की ओर........support Nuclear Power" में कई लोगों ने अत्यंत ज़रूरी और सार्थक सवाल उठाये जिनका उत्तर देने में मुझे अत्यंत आनंद का अनुभव हुआ । मैं बहुत खुश हूँ कि संवेदना के स्वर, zeal, अभिषेक, PN Subramanian, Smart Indian - स्मार्ट इंडियन इत्यादि ने इस चर्चा में रूचि दिखाई और कई महत्वपूर्ण बातों को सामने लाने में सहायता की ।
इसलिए मैंने इस विषय में एक और पोस्ट प्रकाशित करना उचित समझा । यह पोस्ट उन सवालों का जवाब देने की एक कोशिश है जो पिछले पोस्ट में सामने रखा गया है । मैं चाहूंगी कि ज्यादा से ज्यादा लोग इस चर्चा में सम्मिलित हो । इससे न केवल चर्चा सार्थक होगी, बल्कि कई लोगों को इस बारे में पता चलेगा और जागरूकता में वृद्धि होगी ।
यह कहना तो गलत होगा कि ताप विद्युत या जल विद्युत को बंद कर दिया जाय । २००७ के आंकड़ों के अनुसार भारत में टोटल उर्जा खपत में कोयले से उत्पन्न उर्जा ४० %, पेट्रोल उर्जा २४ %, प्राकृतिक गैस ६ %, हायडल १.८ % और परमाणु उर्जा ०.७ % है । यद्यपि भारत एक प्रमुख कोयला उत्पादक देश है, फिरभी ३० % उर्जा आयातित इंधन से मिलता है । क्या अब हम दूसरे देशों के गुलाम हो गए हैं ? केवल यूरेनियम आयात करने से गुलाम बन जायेंगे यह सोच बिलकुल गलत है ।
उर्जा की आवश्यकता एक हौवा नहीं है, एक ऐसा सच है जो हमारे सामने खड़ा है । इस सच का सामना करना ही होगा ।
भारत हमेशा से ही परमाणु उर्जा कार्यक्रम में पीछे रहा है । यही कारण है कि आज हमारे देश उर्जा पर्याप्तता में पीछे रह गया है । जैसे जैसे हमारा कोयला और तेल के भंडार खतम होते जायेंगे, हमें वैकल्पिक उर्जा संसाधन ढूँढने ही होंगे । यह उर्जा स्रोत, परमाणु उर्जा हो सकता है, सौर उर्जा हो सकता है, हाइडल पॉवर, पवन उर्जा, जैव इंधन इत्यादि हैं । सवाल यह है कि इसमें से कौन सा विकल्प सस्ता और पर्यावरण के दृष्टि से निरापद है ।
फ्रांस, जापान जैसे देश परमाणु उर्जा इसलिए नहीं अपनाये हैं कि यह ताप विद्युत से सस्ता है, बल्कि इसलिए कि यह एक साफ़ सुथरा उर्जा स्रोत है ।
परमाणु संयंत्रों से उत्पन्न अपशिष्ट खतरनाक हो सकते हैं, पर उनका सही ढंग से निबटारा करना संभव है । ऐसी तकनीक विकसित की जा चुकी है । पर ताप्प विद्युत केन्द्रों से उत्पन्न अपशिष्ट (waste) जैसे कि राख, धुआं, इत्यादि को आप कैसे संभालेंगे? यह हर कोई जानता है कि कोयले के खान या ताप विद्युत केन्द्रों के आस पास रहने वाले लोगों में lung कैंसर बहुतायत में पाए जाते हैं ।
मैं फिर दोहराती हूँ, बात केवल उर्जा की ज़रूरत की नहीं है, सवाल एक साफ़ सुथरा उर्जा स्रोत का है ...
मै भी यह मानती हूँ कि भारत का जो परमाणु उर्जा कार्यक्रम है वो सही मायने में काफी नहीं है । पर शायद यह ज्यादातर लोगों को पता न हो कि दरअसल हमारे देश में जो थोरियम का भंडार है, उसे इस्तमाल करने के लिए भी हमारे पास बहुत सारे यूरेनियम रिअक्टर होना ज़रूरी है । हमारे देश का जो त्रि-चरणीय परमाणु उर्जा कार्यक्रम है उसके तहत पहले हमें यूरेनियम रिअक्टर चाहिए, फिर हम दुसरे चरण में प्लूटोनियम रिअक्टर का इस्तमाल करेंगे और तीसरा तथा आखरी चरण में हम थोरियम रिअक्टर का इस्तमाल कर पाएंगे । पर इस तरह का FBR (fast breeder reactor) बनाने से पहले, हमें बहुत सारा यूरेनियम की ज़रूरत है । यदि हम आज चूक गए तो शायद हम कभी इस थोरियम स्रोत का इस्तमाल नहीं कर पाएंगे । मैं यहाँ इस परमाणु उर्जा कार्यक्रम को विस्तारित रूप से वर्णन नहीं कर सकती । उसके लिए आपको निम्नलिखित लिंक में जाकर खुद पढ़ना पड़ेगा ।
http://www.dae.gov.in/publ/3rdstage.pdf
http://www.dae.gov.in/power/npcil.htm
एक ज़रूरी बात और । कई लोग ऐसे हैं जो मेरी पोस्ट को पढते तो हैं पर यह सोचकर चुप चाप उलटे पांव लौट जाते हैं कि "भाई, हमें तो इस बारे में कुछ नहीं पता, क्या लिखें?" । ऐसे दोस्तों से यह कहना चाहूंगी कि ज़रूरी नहीं है कि ये बातें हर किसी को पता हो, पर आप जानने कि कोशिश तो कीजिये । आपके मन में कई सवाल उठाना स्वाभाविक है । मुझे अत्यंत हर्ष होगा इन सवालों के जवाब देने में ।