“सच क्या है?” ये कितना आसान सवाल है पर जवाब देना उतना ही कठिन I हम कह सकते है की सच वो है, जो वास्तविकता या हकीकत को दर्शाता है I पर क्या ये सीधी सी बात सच है? क्या इस मे कमी नज़र नहीं आती ? वास्तविकता क्या है ? या हकीकत क्या है ? ये सब एक दृष्टी पर निर्भित नहीं होता है ?
एक छोटासा उदाहरण इस बात की पुष्टि करता है I ग्लास आधा भरा या आधा खाली? ये एक दृष्टी, वास्तविकता और सोच पर निर्भित होता है I तो इसमें सच क्या है ? क्या भरा ग्लास मुझे तब लग सकता है जब उसकी जरुरत हो ? खाली ग्लास इसलिए लगता है की उस वक्त मेरी जरुरत ना हो ?
इंसान सच को इसी नाप दंड मे तौलता है और फिर जो ताकतवर है , वो अपने अनुरूप इसे अपनी सच्चाई के रूप मे पलट देता है I फिर वास्तविकता भलेही अलग क्यू ना हो I
फिर सच क्या है ?
सच – यानी जो तथ्यों (factually) के आधार पर और यथोचित (logically) रूप से सही हो और जो भ्रमकारी ना हो I पर क्या इसे हमेशा समाज मे सच माना गया है ?
इसी बात पर मेरी एक पसंदीदा जगजीत सिंग द्वारा गायी हुयी गज़ल आप सबके लिए