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मैं कोई
एक मित्र ने मेरी पोस्ट “भूख” पर टिपण्णी दी है, कि ‘ये भी तो इन्द्रनील जी का ही ब्लॉग है वैसे.....’, टिप्पणी के लिए उनका आभार !
पर अब शायद उनको ये जानकर अचरज होगा कि यह मेरा अपना ब्लॉग है जिसमे में अपने विचार खुद लिखती हूँ !
इस टिपण्णी ने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया कि क्या एक स्त्री का अपना अलग वजूद नहीं हो सकता है ?
आज मैं इस मुकाम पर हूँ (मेरे पास भूगर्भशास्त्र में डाक्टरेट है, विदेश में एक विदेशी कंपनी में काम कर रही हूँ) । क्या मैं इस मुकाम तक यूँ ही आ गई हूँ ? क्या इसमें मेरी कोई मेहनत नहीं है ? और अगर है, तो क्या मै इतनी सक्षम नहीं हूँ कि अपने आप एक ब्लॉग में कुछ लिख पाऊँ ?
ये बात सच है कि हर सफल स्त्री के पीछे उसके पति तथा घरवालों का बहुत सहारा होता है, पर क्या साथ साथ उसकी जिद, उसकी कुछ कर पाने कि चाहत, उसकी मेहनत ये सब बेकार हैं ? लोग ये सब भूल क्यूँ जाते है ?
मुझे इस सोच से चिढ आती है कि एक स्त्री हमेशा ही पुरुष के सहारे चलती है । पुरुष शायद कभी अपनी सोच से बाहर निकलना नहीं चाहते या फिर उनका पुरुष अहंकार उन्हें ये करने से रोकता है । मेरे साथ ये पहली बार नहीं हुआ है ... चूँकि मैं एक पुरुष बहुल विषयक्षेत्र में हूँ, अपने कॉलेज जीवन से ही इस प्रवृति का सामना करते आई हूँ ।
ऐसे शख्स मुझे आये दिन अपनी जिंदगी में मिलते है कभी दोस्त बनके तो कभी कलीग बनकर । पर मैंने भी हारना नहीं सिखा है । मैं लड़ते आई हूँ, और लड़ते रहूंगी । या यूँ कहिये मैं पंख फैलाकर उड़ते रही हूँ और उड़ते उड़ते और ऊँचाइयों पर पहुँच जाउंगी ।
यहाँ दुर्घटना इतनी भयानक थी कि, टक्कर से वनांचल एक्सप्रेस ट्रेन के तीन डिब्बे बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए!
रेलवे के साथ ये सब आये दिन होते रहता है .. आप जब भी प्रवास करते हैं, आप जानते नहीं कि सच में आप अपने इच्छित जगह तक सही सलामत पहुँच पाएंगे या नहीं ! कभी रेल दुर्घटना तो कभी डकैती । ये बातें तो अब आम हो गयी है !
रेल प्रशासन बड़ी बड़ी बातें करता है पर जैसे रेल कि सुविधाएँ हैं उनके बारे में क्या कहें ?
सच में, कब तक हमारी ये रेल गाड़ी राम भरोसे चलती रहेगी ...आखिर कब तक ....????
जीवन क्या है ?
कितना अजीब सवाल है । आज मैंने खुद से पूछ कर देखा । सच में, जवाब है भी और नहीं भी, ये तो अपना अपना नजरिया है कि उसे क्या लगता है !
कई बार जीवन में ऐसा होता है कि जो चीज़ चाहिए है उसके लिए हम लाख कोशिशे करें और यकीं भी हो कि वो मिल रही है पर अचानक एक पल में सब कुछ बदल जाता है !
वो पल वो क्षण ..... कितना अजीब महसूस होता है !
दिल की धड़कने रुक जाती है, मुंह से आवाज़ नहीं आती ।
ये मिस वर्ल्ड या मिस यूनिवर्स वाले हाव भाव तो मुश्किल से आम आदमी के चेहेरेपे आते देखे हैं मैंने; मेरे अपने चेहरे पर तो ये कभी नहीं आये । या तो कोई बहोत शांत हो जाता है या फिर रोना आ जाता है ।
पर यही तो जीवन के महत्वपूर्ण मोड़ होते है ! हाँ को ना और ना को हाँ करने वाले । ये तो उस व्यक्ति पर निर्भर होता है कि वह उस बात को कितने सकारात्मक दृष्टी से लेता है !