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Wednesday, June 13, 2012

कभी कभी ना जाने क्यू ?

कभी कभी ना जाने
क्यूँ  ये होता है
बनती बातों को
बिगाड़ने में
समय क्यूँ साथ देता है
पहली बात से
शुरू  होके
हर बात बिगड़ जाती है
अंत होते होते
जैसे जान ही निकल जाती है ......








11 comments:

  1. कभी कभी ना जाने
    क्यू ये होता है
    बनती बातों को
    बिगाड़ने में
    समय क्यू साथ देता है
    बिल्‍कुल सच कहा ...

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  2. बहुत सी बातें होती हैं जि‍नका कोई जवाब नहीं होता

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  3. Vakt ke khel vakt hi jaanta hai ... Achhee rachna hai ...

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  4. कभी-कभी बात बनाने के प्रयास से बेहतर होता है, उसे छोड़ देना।
    संजो के रक्खो इसे हाथ से न जाने दो
    बात निकलेगी तो बेकार चली जायेगी ॥

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  5. jo hota hai usmen hi bhala nihit hota hai:)sunder likha hai.

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  6. लगता है कि हमारा समय गद्दारी कर रहा है..

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  7. कई बातें यूँ ही होती हैं

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  8. Aankhon Ke Aansoo Ab Pani BanKe Behne Laga Mano Barsaat Ho Rahi Hai. Thank You For Sharing.
    Pyar Ki Kahani

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टिप्पणी के लिए आपका बहुत धन्यवाद. आपके विचारों का स्वागत है ...

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