माँ बहन बेटी पुकारते हो
लाड प्यार दुलार देते हो,
जब जीवन संगीनी बन जाती है,
तो क्यूँ अय मर्द दुत्कारते हो ||
कैसी व्यथा है नारी जीवन की,
ये कैसा न्याय तेरी बस्ती में,
खून के आसू रुलाकर उसे
लाड प्यार दुलार देते हो,
जब जीवन संगीनी बन जाती है,
तो क्यूँ अय मर्द दुत्कारते हो ||
कैसी व्यथा है नारी जीवन की,
ये कैसा न्याय तेरी बस्ती में,
खून के आसू रुलाकर उसे
तुम तेजाब में नहलाते हो ||
चित्र साभार गूगुल सर्च
its a barbaric act or rather its cowardly act. its had done in frustration and show the domination only. there is no other reason to these attacks. and shameful.
ReplyDeleteइससे बड़ा अत्याचार कुछ हो ही नहीं सकता, पूर्णतया अमानुषिक।
ReplyDeleteओह!! सभ्य और उन्नत समाज की इससे बढ़िया बानगी क्या हो सकती है भला....!!!!
ReplyDeleteधिक्कार....
इस अमानुषिक व्यवहार को देखकर मन को बहुत दुःख होता है !
ReplyDeleteइस बात से अक्सर मन व्यथित होता है ...
ReplyDeleteव्यथित करने वाली खबर ।
ReplyDeleteधिक्कार है
ReplyDelete
ReplyDelete♥
आदरणीया तृप्ति बहन
सस्नेहाभिवादन !
व्यथित करने वाली रचना है …
अमानवीय !
ईश्वर ऐसी परिस्थितियां जहां भी है … निराकरण करे …
*दुर्गा अष्टमी* और *राम नवमी*
सहित
~*~नवरात्रि और नव संवत्सर की बधाइयां शुभकामनाएं !~*~
शुभकामनाओं-मंगलकामनाओं सहित…
- राजेन्द्र स्वर्णकार
धन्यवाद राजेंद्रभाई
Deleteदिल को दहला देने वाली रचना .
ReplyDeleteऐसी पैशाचिक प्रवृत्ति जिसकी कोई माफ़ी नहीं ......दर्दनाक !!!...चित्र और अभिव्यक्ति दोनों !!!!!!
ReplyDeleteतृप्ति जी ! बहुत समय बाद आप को देखा ,अच्छा लगा....इस तरह मन को व्यथित करने वाली खबर अकसर छपती रहती है ,और हम पढ़ कर सोचते रह जाते है .कुछ भी कर पाते..यही विड़ंबना है..
ReplyDelete:(
ReplyDeleteकैसी व्यथा है नारी जीवन की,
ReplyDeleteये कैसा न्याय तेरी बस्ती में,
खून के आसू रुलाकर उसे
तुम तेजाब में नहलाते हो ||
Dukhad... :(
मन दुखी ही हुआ.
ReplyDeletehello Trupti !!
ReplyDeletethanks 4 visiting me and giving me the opportunity to land here :)
Lovely blog u have..
the agony and anger is fantastically expressed... it feels disgusting that something like this can happen... and alas it happens :(
Awesome expressions !!
Wish to c u more at Random Scribblings :)
Thanks Joyti
Deleteतिस तिस पर तुर्रा यह खबर बनती है यह अखबार में -
ReplyDelete'प्रेमी ने प्रेमिका के चेरे पर तेज़ाब फैंका 'पति ने पत्नी को तेज़ाब से नहलाया '
यह कैसा प्रेमी है ?पति है ?आदमी है या वहशी ,हब्शी .कैसी पत्रकारिता है यह .?
धन्यवाद वीरुभाईजी,
Deleteमन बहुत व्यथित होता है ये सब पढकर खास कर वो सब फोटोस देखकर!
उफ़्फ़!
ReplyDeleteऐसी तस्वीरों से दिल दहलता है।
ऐसे लोगों का जीने का हक़ नहीं है संसार में।
कड़ी-कड़ी सज़ा मिलनी चाहिए।
insaniyat ke andar chipi haivaniyat ki prakashtha hai ye....
ReplyDeleteवहशियत की इंतिहा ...
ReplyDeleteक्या कहें..इन्सानियत के नाम पर कलंक!!
ReplyDeletenari jeevan ki yahi vyatha hai ..afsosnak .
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