महाशिवरात्रि के पर्व पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं !
चित्र साभार - इन्द्रनील
एक तांडव, जिसके बाद विनाश अटल | विनाश
के बाद फिर एक नयी शुरुआत | यही प्रकृती का नियम है | शिव प्रकृति है जो हमारे जीवन
की नकारात्मकता को हटाने का प्रतीक है |
शिव (श+इ+व् ) एक शक्ति है, जो सिखाता
है की बिना ‘इ’ – ( जो नारी का
रूप दर्शाता है ) ये विश्व – “ शव “ – है |
आज शिवरात्रि महज त्यौहार का रूप रह
गया है | हम इसके पीछे की भावना भूल कर दूध पिलाने और पूजा करने तक सीमीत रह गए हैं |
हमारी संस्कृति में त्यौहार रोजमर्या की जिंदगी से जुड़े हैं | उसमे बहुत गहन अर्थ छुपे है जिसे जाने बिना हम
त्यौहार को बस मनाते जाते है |
शिवजी के पूजा में हम बिल्व फल चढाते हैं |
पूजा के चढावे के साथ
साथ अगर हम उसे ग्रहण करते है तो पाचन संबधी जो तकरारे इस मौसम मे रहती है वो काफी
हद तक कम हो सकती है |
कल दूध चढ़ाया जायेगा और ना जाने कितना
दूध मिटटी मे मिल जायेगा | अगर यही दूध किसी भूख से बिलखते बच्चे के पेट में जाए तो क्या उसकी तृष्णा-तृप्ती में शिव रूप का
आभास नहीं होगा ?