कई लोग बुद्ध धर्मं को सनातन हिंदू धर्म की ही एक शाख मानते हैं । पर कभी इसको जानने या समझने का मौका नहीं मिला या कहिये मैंने इसमें कभी उतनी दिलचस्पी नहीं ली । कारण तो बहुत से थे । पर धीरे धीरे वक़्त के साथ, मेरी रूचि इस ओर बढ़ने लगी । गौतम बुद्ध के जीवन परिचय के बारे में जो भी कहानियो में सुना था इसके अलावा मेरे पास कोई खास जानकारी नहीं थी । घुम्मकड स्वभाव के होने के कारण अजंता-एलोरा, कन्हेरी और धर्मशाला जैसे बौद्ध धर्म से सम्बंधित ठिकानो के दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ पर वो भी केवल छात्र जीवन के दौरान । कुछ कारण वश पिछले ८/१० दिनों से बुद्ध धर्मं से सम्बंधित बातों को पढ़ने का मौका मिला । और सच कहती हूँ जैसे उसमें डूब ही गयी । एक के बाद एक जीवन दर्शन और शिक्षा के पन्ने खुलते गए । कल जब रिमझिम को गौतम बुद्ध की जीवन-कहानी के बारे में सुना रही थी, कि कैसे वो राजकुमार सिद्धार्थ से गौतम बुद्ध बने तो लगा कि जैसे मैं भी पहली बार ही इस रूप को देख रही हूँ । मैंने भी खुद में एक नया परिवर्तन महसूस किया । उनके धर्मसंघ के आठ नियमों को मै जानने की कोशिश कर रही हूँ । यथोचित अवलोकन (Right View) जीवन में सत्य पथ की ओर ले जाता है । सच में हम हमेशा आँखें जो दिखाती है उसपर पूरा भरोसा करके चलते है पर बहुत कम लोग होते है जो आँखों से दिखाए गए चित्र को संज्ञानात्मक (cognitive) दृष्टि से देखते है ।
बौद्ध धर्मसघ के ८ पथ मै सक्षिप्त में दे रही हू
१. यथोचित अवलोकन (Right View)
२. परम ध्येय (Right Intension)
३. यथोचित भाषण (Right Speech)
४. यथोचित क्रियाशीलता (Right Action)
५. यथोचित आजीविका (Right livelihood)
६. यथोचित प्रयास (Right efforts)
७. यथोचित परिपूर्णता मन / सावधानी (Right Mindfulness)
८. यथोचित एकाग्रता ( Right Concentration)
यह मेरे लिए नया विषय है , आभार आपका !
ReplyDeleteरिमझिम के अलावा इस क्लास में आगे से मैं भी हाज़िर रहूँगा ! थोडा भुलक्कड़ हूँ उम्मीद है मैम क्लास की याद दिला दिया करेंगी :-)
ReplyDeleteआभार ...
Follow eight 'rights',your life will become bright.
ReplyDeleteआपने महात्मा बुद्ध के धर्मसंघ के आठ पथ बतला कर बहुत पुण्य का कार्य किया है.जब भी हम महान आत्माओं के ऊपर सम्यक ध्यान देकर उन्हें ईमानदारी से समझने की कोशिश करते हैं तो फलस्वरूप ज्ञान के अनुपम मोती ही प्राप्त करते हैं.
सुन्दर प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत आभार.
इस बार अभी तक भी मेरे ब्लॉग पर क्यूँ नहीं आयीं है आप.मेरी ५ मई को जारी पोस्ट आपका बेसब्री से इंतजार कर रही है.
इसे ही मध्यमार्ग कहते हैं। बहुधा हम किनारों में सरक लेते हैं, बीच में चलने में समस्या आती है। सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDeleteबहुत अच्छी जानकारी दी आपने.
ReplyDeleteसादर
अच्छी नई और सार्थक जानकारी ...धन्यवाद
ReplyDeleteनिश्चय ही बौद्ध-मत वैज्ञानिक है.यथोचित का अभिप्राय सम्यक से होगा.अफ़सोस यह है आज बुद्ध को दशावतारों में शामिल करके उनका महत्त्व घटा दिया गया है.
ReplyDeleteबहुत अच्छी जानकारी दी आपने| धन्यवाद
ReplyDeleteबहुत सार्थक पोस्ट.
ReplyDeleteआभार
बहुत बढ़िया!
ReplyDeleteबुद्धपूर्णिमा की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
बहुतब सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDeleteअच्छी जानकारी। वास्तव में विज्ञानवादी दृष्टिकोण लाने वाले महात्मा बुद्ध ही थे जब उन्होंने कहा था कि मैं जो कहता हूँ उस पर ऑंखें बन्द कर विश्वास मत करो, विवेक और तर्क की कसौटी पर उसे कसो, फिर विश्वास करो। वैसे महामानव बुद्ध का एक सूत्र वाक्य मुझे सबसे प्रेरक लगता है, 'अत्त दीपो भव' अर्थात अपना दीपक स्वयं बनो।
ReplyDeleteसारगर्भित तथा सार्थक रचना । अच्छी जानकारी के लिये आभार। धन्यवाद ।
ReplyDeleteनितांत उपयोगी वर्णन ।
ReplyDeleteआभार ।
नई और सार्थक जानकारी
ReplyDeleteyathochit aur paripoorn gyan....aabhar aapka is ke liye.
ReplyDeletesarthak jankari .......
ReplyDeleteइस सुन्दर ज्ञानवर्धक जानकारी के लिए धन्यवाद.
ReplyDeletebahut hi achchhi aur sunder jakari........
ReplyDeleteIs mahatvapoorn jankari ke liye aabhar.
ReplyDelete............
खुशहाली का विज्ञान!
ये है ब्लॉग का मनी सूत्र!
बहुत सुन्दर लिखा है आपने जो काबिले तारीफ़ है! बेहतरीन प्रस्तुती!
ReplyDeleteबहुत सुंदर जानकारी दी आपने, धर्म और धर्मिक इतिहास मेरा प्रिय विषय है, आपका धन्यवाद
ReplyDeleteविवेक जैन vivj2000.blogspot.com
सार्थक एवं जानकारीपरक.
ReplyDeleteबहुत अच्छा लगा आपकी टिप्पणी मिलने पर ! माफ़ी मांगकर मुझे शर्मिंदा मत कीजिये! आपको जब भी वक़्त मिले मेरे ब्लॉग पर आइयेगा!
ReplyDeleteकमाल की लेखनी है.बहुत ही अच्छा विषय चुना है आपने.इसी विषय पर आपकी और भी पोस्ट की प्रतीक्षा रहेगी.........कि दिल अभी भरा नहीं.बुद्ध पूर्णिमा परलिखा गया मेरा गीत 'पञ्च शील के अनुगामी' जरुर पढ़ें.http://mitanigoth2.blogspot.com / पर (Old Post)उपलब्ध है.
ReplyDeleteBahut sunder jankari . is class ko main bhee join karna chahati hoon.
ReplyDeleteaathon ke aathon niyam yathochit shabd ka prayog karte hain jo dhyan dene yogy hain. Aapka bahut abhar is wishay kee prastuti ke liye.
saarthak post ,aese sant hame jeene ki raah samjhate hai .
ReplyDeleteबहुत ही रोचक पोस्ट । बुध्द धर्म आठों नियम उतार लिये हैं एक एक कर इन्हें आचरण में भी लाना होगा ।
ReplyDeleteबहुत ही सार्थक पोस्ट . महात्मा बुद्ध का अनुयायी हूँ .. उनके विचारों को जीवन में सम्मलित करने की कोशिश करते रहता हूँ .
ReplyDeleteधन्यवाद.
आभार
विजय
कृपया मेरी नयी कविता " फूल, चाय और बारिश " को पढकर अपनी बहुमूल्य राय दिजियेंगा . लिंक है : http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/07/blog-post_22.html
यह सामान्यतः सम्यक कहे जाते हैं और मेरे विचार से अच्छी तरह आशय स्पष्ट होता है, सम्यक से.
ReplyDeleteभैयादूज पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ।
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